श्री राम, श्री कृष्ण ,भगवान बुद्ध ,भगवान आदि शंकराचार्य , महावीर ,ईसामसीह ,मोहम्मद ,गुरु -नानक ,संत कबीर ,मीरा ,तुलसी ,सूर ,रामकृष्ण परमहंस ,स्वामी विवेकानंद ,स्वामी दयानंद ,राजा राममोहन राय,स्वामी रामतीर्थ योगी श्री अरविन्द ,तिलक ,नारौजी , सुबास चन्द्र बोस ,भगत सिंह ,चन्द्र शेखर आजाद , महात्मा गाँधी ,टैगोर  .पं. जवाहर लाल नेहरु , डा.लोहिया ,आचार्य नरेन्द्र देव ,पं. गोविन्द बल्लभ पन्त ,जय प्रकाश नारायण आदि आदि तथा भारतवर्ष के राजा महाराजा ,सम्राट , रानी- -महारानियाँ |छत्रपति शिवाजी , गुरु गोविन्द सिंह , महाराणा प्रताप , रानी लक्ष्मीबाई या स्वतंत्रता सेनानियों का हमारे पास जीवन परिचय ही तो है |

किसी भी महान आदमी का जीवन केवल उसके बड़े कार्यों से ही नहीं वरन उसके छोटे छोटे कार्यों एवं व्यवहार से भी जाना जा सकता है | यदि मानव जाती के इतिहास से जीवन परिचय को निकल दिया जाय तो हमारे पास कुछ भी नहीं बचेगा |


 

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इसलिए भारत तथा विश्व में जीवन परिचय लिखे जाने की परंपरा रही है |हमारे नित्य का आहार , सोच विचार , व्यवहारिक आदान प्रदान ही हमारा जीवन परिचय है | कुमाऊ उत्तराखंड हिमालय की संत बिभूति श्री - परमानन्द का पूर्व वंश गोत्र का परिचय यानि संशिप्त रूप रेखा देना आवाश्यकीये है | आपके जीवन का संशिप्त परिचय देते हुए तथा आपके जीवन को निर्मित करने वाले तथा आपके जीवन में आध्यात्मिक धार्मिक एवं सांस्कृतिक भावों की जाग्रति करने वाले व जीवन मूल्यों को प्रभावित करने वाले कारकों एवं मुख्य मूल बिन्दुओं की समीक्षा यहाँ करूँगा , जिनके आधार पर आपका आध्यात्मिक जीवन निर्मित हुआ |


 

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प्रत्येक मनुष्य के जीवन में वे सम्भावनाये होती है जो बीज की भांति उसके जीवन में ही छिपी रहती है |बचपन से या  जन्म से ही किसी किसी व्यक्ति के अंदर वे गुण होते है जिनका बाद के जीवन में विकास होता है |
तपस्या या साधना के द्वारा , माता पिता तथा पूर्वजों के विशेष गुणों से प्रभावित होकर शिक्षक अध्यापक , कुलगुरु , आचार्य या संत महापुरुषों के द्वारा , समाज , संत , महापुरुष , या गुरु भी किसी के जीवन को निर्मित करने में एक प्रधान कारक होता है , जीवन की महानताओं को उजागर करने में अनेकों कारक है |व्यक्तिगत अथवा सामाजिक जीवन को निर्मित करने में यह सभी कारक महत्वपूर्ण है | रथ या गाडी में चार पहिये होते है, जिन पर गाडी या रथ ठीक ठीक चलता है परंतु पहिये के अतिरिक्त भी सैकडों पुर्जे होते है जिनका ठीक रहना जरूरी है |  


 

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आध्यात्मिक - धार्मिक , सांस्कृतिक जीवन निर्मित करने में त्याग तपस्या , सदाचार चरित्र ये सबसे महत्वपूर्ण आधार है | जो किसी भी व्यक्ति की अपनी व्यक्तिगत सपत्ति है जिस पर सामाजिक ढांचा खडा है | इसके बिना धर्मं तथा संस्कृति खोखली हो जाती है धर्म एवं आध्यात्म की पराकाष्ठा को छूने के लिए ये गुण व्यक्ति के अंदर निजी होने चाहिए | यदि बीज अच्छा है और किसान भी समझदार है परन्तु खेत अच्छा और उपजाऊ नहीं है तो बीज तथा किसान अपना मूल्य नहीं बता सकते है | खेत का ठीक होना जरूरी है | अन्यथा किसान अथवा बीज क्या करेगा ? संत , गुरु , महापुरुष तो एक गाइड है या मार्गदर्शक होता है | "अपनी करनी , अपनी भरनी "

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